मोदी जिनपिंग मीट: चीन के लिए भारत और पाकिस्तान महेज़ एक मोहरा।

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वर्तमान में बीजिंग की सबसे बड़ी चिंता शी चिनफिंग की इस अनौपचारिक यात्रा को पाकिस्तान को सशंकित किए बिना सफल बनाने की चुनौती है। पहले चीन कश्मीर को एक ऐतिहासिक मसला बताता रहा है जिसे भारत और पाकिस्तान की आपसी बातचीत से समाधान का हिमायती रहा। लेकिन पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से उसके सुर पाकिस्तान के समर्थन में चले गए।

मसले का अंतरराष्ट्रीयकरण करने के लिए उसने इसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी उठाया। फिर अचानक चीन के रुख में लचक आई। आठ अगस्त को चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘हम भारत और पाकिस्तान से सभी मसलों पर बातचीत करने की अपेक्षा करते हैं इनमें कश्मीर मसला भी शामिल है। यही दोनों देशों सहित समूचे विश्व की साझी इच्छा है।’ 

समर्थन जुटाने चीन गए इमरान

इसके बाद इमरान खान कश्मीर पर समर्थन जुटाने चीन गए। कश्मीर पर भारत को किसी की मध्यस्थता स्वीकार नहीं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर मसले को उठाने के बाद चीन की बीआरआइ योजना के प्रति भारत का रुख सख्त हो गया। चीन का पाकिस्तान में अकूत धन निवेश किए जाने को लेकर खुद चीन में उसके रिटर्न को लेकर आशंका खड़ी होने लगी है। चीन- पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरीडोर के तहत किए गए चीनी निवेश की दिक्कतें और बढ़ सकती हैं यदि फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स पाकिस्तान को आने वाले दिनों में प्रतिबंधित कर देती है। 38 हजार वर्ग किमी वाले अक्साई चिन पर चीन गैरकानूनी कब्जा कर रखा है।

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