लखनऊ: जानकीपुरम में कोरोना पॉजिटिव मरीज निकलने के बाद भी ऐसी लापरवाही कहीं भारी न पड़ जाए !
जहां कुछ जिम्मेदार नागरिक, पुलिस, स्वास्थ कर्मी कोरोना से बचे रहने के लिए ऐहतियात बरत रहे है तो वही लखनऊ में पुलिस प्रशासन की एक भारी लापरवाही सामने आयी है . हम बात कर रहे हैं गुडंबा के जानकीपुरम इलाके की.
दरअसल मूलरूप से कानपुर निवासी एक युवक बाराबंकी स्थित कोल्डड्रिंक फैक्ट्री में काम करता है . वह अपने दो दोस्तों के साथ गुडंबा स्थित जानकीपुरम सेक्टर एच के फेस तीन में रहता है. युवक 14 मई को ही अपने दो दोस्तों के साथ कानपुर से लौटा था. सभी ने फैक्ट्री में काम शुरू कर दिया था. वही 18 मई को फैक्ट्री में ही युवक की जांच हुई जिसके एक दिन बाद 19 मई को रिपोर्ट आई जिसमें युवक पॉजिटिव पाया गया. इसके बाद 20 मई को लोकबन्धु अस्पताल में उसे भर्ती कराया गया.
आपको बता दें कि उस युवक को तो भर्ती करा दिया गया जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई किन्तु उसके साथ काम कर रहे है उसके दोस्तों की तीन दिन बाद भी जांच नहीं करायी गयी. साथ ही ना तो युवक के रहने वाले इलाके में कोई बैरिकेडिंग की गयी और ना ही मकान मालिक और युवक के दोस्तों को क्वारंटाइन किया गया।
आपकों बता दें कि जिस भी शहरी क्षेत्र में सिंगल केस भी होता है वो कन्टेन्मेन्ट जोन के अंदर आता है। उस इलाके के 250 मीटर के रेडियस में अथवा पूरा मौहल्ला कन्टेन्मेन्ट जोन में आता है ।कन्टेनमेन्ट जोन में केवल अत्यावश्यक गतिविधियों की ही अनुमति होती है । कन्टेनमेन्ट जोन में कड़ा परिधीय नियंत्रण रखते हुए यह सुनिश्चित किया जाता है कि केवल चिकित्सकीय आपातकालीन स्थिति और आवश्यक वस्तुओं एवं सेवाओं की पूर्ति को छोड़कर किसी भी व्यक्ति का अन्दर अथवा बाहर की ओर आवागमन न हो, इस सम्बन्ध में केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा राज्य सरकार ने दिशा निर्देश दे रखे हैं ।
परंतु दिशा निर्देशों के बाद भी अभी तक इलाके में बैरिकेडिंग न करके उस इलाके में रहने वाले लोगों की ज़िंदगी खतरे में डाली जा रही है। जिम्मेदारों द्वारा ऐसी लापरवाही कहीं शहरवासियों को भारी न पड़ जाए। आज तीन बाद भी इलाके में बैरिकेडिंग न करके इलाके को अपने हाल पर छोड़ देना कहा तक सही है । जब कोरोना इतनी तेजी से फैल रहा है उस वक़्त ऐसी लापरवाही कई सवाल खड़े करती है ।
सोर्स: दैनिक जागरण