अगर नहीं बनी कोरोना को मात देने वाली कोई भी दवा तो क्या होगा दुनिया का?

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ज़रा सोचिए कि जिस महामारी ने 5 महीने के वक्त में करीब 50 लाख लोगों को अपना शिकार बना लिया और तकरीबन 3 लाख लोगों को बेवक्त मौत दे दी है अगर उसका इलाज ना मिल पाया तो ये दुनिया का क्या होगा.

ये कोई कल्पना नहीं है बल्कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) का भी ये डर है जो समय-समय बाहर निकलकर सामने आ रहा है. हैरानी की बात है कि ये डर तब है जब दुनियाभर में 100 से ज्यादा वैक्सीन पर ट्रायल जारी है.

कोरोना को पूरे विश्व में फैले करीब 5 महीने हो चुके है. इसके बाद भी दुनियाभर के बड़े से बड़े वैज्ञानिक इस वायरस को समझ नहीं पाए हैं. इस वजह से कोरोना पर दवा बन पाएगी भी या नहीं ये कहना फिलहाल मुश्किल नजर आ रहा है. दुनिया में आज भी कई ऐसे वायरस मौजूद हैं, जिनकी दवा आज तक बनी ही नहीं पायी है.

आश्चर्य करने की बात ये है कि कोरोना वायरस को जब-जब डिकोड किया जाता है, तो वो एक नया रूप बना लेता है. जब उसे डिकोड किया जाता है तो वो एक और नया रूप ले लेता है. पूरी दुनिया के कई काबिल डॉक्टर और बड़े वैज्ञानिक निरंतर इसकी दवा बनाने में जुटे हैं किन्तु ये काम इतना आसान भी नहीं है. दुनिया के 80 देशों की 100 से ज्यादा लैब्स में कोरोना की वैक्सीन बनाने की कोशिशे जारी है.

WHO के कोरोना एक विशेषज्ञ डॉक्टर डेविड नेबारो का कहना है कि इस वायरस की दवा आने में बहुत लंबा वक्त लग सकता है. HIV और मलेरिया की तरह ही ये तेजी से नहीं बढ़ता लेकिन ये मानकर चलिए कि दवा आने में एक साल से डेढ़ साल तक लग सकता है. और ये भी मुमकिन है कि इस वायरस की दवा कभी बन ही ना पाए. ऐसे में पूरी दुनिया को हमेशा लॉकडाउन में नहीं रखा जा सकता.

उनके कहे हुए इस वाक्य से साफ़ पता चल रहा है कि शायद कभी कोई कोरोना जैसी महामारी को मात देने वाली दवा कोई बना ही ना पाए और शायद हम सबको इस महामारी के साथ ही अपनी जिंदगी बितानी पड़े.

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