लुटेरों का विरोध करने पर सॉफ्टवेयर इंजीनियर को ट्रेन से फेंका बाहर, दोनों पैर कटे

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ट्रेन में यात्रियों से लूटपाट कर रहे लुटेरों का विरोध करना कोटा के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की जिंदगी पर भारी पड़ गया।लुटेरों के विरोध ने उसे जिंदगीभर के लिए अपाहिज बना दिया।लूटपाट का विरोध कर रहे इंजीनियर को लुटेरों ने चलती ट्रेन से बाहर फेंक दिया।इससे उसके दोनों पैर कट गए।


दोनों पैरों से घायल सॉफ्टवेयर इंजीनियर का दिल्ली के अपोलो अस्पताल में इलाज चल रहा है। उसके रिश्तेदारों ने इस मामले में रेलवे प्रशासन पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं।

घटना का शिकार हुआ सॉफ्टवेयर इंजीनियर कोटा के कुन्हाड़ी इलाक़े का रहने वाला है।दीपक दिल्ली में एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता है।वह पिछले दिनों अपने घर कोटा आया हुआ था। कोटा से वह 2 दिन पहले 5 सितंबर को दिल्ली जाने के लिए हजरत निजामुद्दीन इंटरसिटी में सवार हुआ था।वह सामान्य श्रेणी के डिब्बे में था।रास्ते में 3-4 बदमाश यात्रियों से लूटपाट कर रहे थे।दीपक ने उनका विरोध किया।इससे लुटेरे उससे झगड़ पड़े और ओखला के पास चलती ट्रेन से उसे बाहर फेंक दिया।ट्रेन की चपेट में आने से दीपक के घुटनों तक के दोनों पैर कट गए।

हादसे के दौरान किसी यात्री ने ट्रेन की चेन खीच कर ट्रैन को रोका।फिर ट्रैन में बैठे यात्रीयों ने ट्रेन से उतर कर दीपक को बचाया ।लेकिन तब तक उसके दोनों पैर पूरी तरह कट चुके थे।उन्होंने गंभीर घायल दीपक को अस्पताल पहुंचाकर उसके परिजनों को सूचना दी।इस पर परिजन दिल्ली पहुंचे।वहां पहुंचकर बेटे की हालत देखकर उनके पैरों तले से जमीन खिसक गई।

अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई


निजामुद्दीन स्टेशन पर इसका मामला दर्ज कराया गया है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।परिजनों का आरोप है कि दीपक ने जब लुटेरों का विरोध किया तो वहां मौजूद रेलवे के सुरक्षाकर्मियों ने कोई सहयोग नहीं किया।नतीजतन लुटेरों के हौंसले बुलंद रहे और उन्होंने दीपक को चलती ट्रेन से बाहर फेंक दिया।

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