आयुर्वेद द्वारा जीर्ण यकृत रोग के प्रबंधन पर 22 सितम्बर को होगा राष्ट्रीय सम्मेलन
नई दिल्ली : यकृत की समस्याओं के बढ़ते प्रचलन को देखते हुए ऑल इंडिया आयुर्वेदिक स्पेशलिस्ट पोस्ट ग्रेजुएट एसोसिएशन (AIASPGA) ने 22 सितम्बर, 2019 को नई दिल्ली के कोंस्टीटूशनल क्लब में एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया है । एसोसिएशन को उम्मीद है कि यह सम्मेलन स्वास्थ्य संरक्षण और बीमारी की रोकथाम के प्राचीन अनुभूत आयुर्वेदिक तरीकों के माध्यम से जीर्ण यकृत रोग के प्रबंधन को बढ़ावा देने में सहायक होगा।
सम्मेलन में मुख्य अतिथि तथा वक्ता बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के सेवानिवृत आचार्य एवं प्रसिद्ध आयुर्वेदिक चिकित्सक प्रो. एस डी दुबे रहेंगे, सर्वपल्ली राधाकृष्णन आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर के कुलपति प्रो अभिमन्यु कुमार सत्र की अध्यक्षता करेंगे और अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की निदेशक प्रो. तनुजा केसरी विशिष्ट अतिथि होंगी। निम्नलिखित छह प्रख्यात आयुर्वेद विशेषज्ञ प्रो. वी. डी. अग्रवाल, डॉ. आर.के. यादव, डॉ. वी. जी. हुड्डा, डॉ. एस. राजगोपाला, डॉ. अरुण महापात्रा और डॉ. प्रमोद यादव जीर्ण यकृत रोग के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार साझा करेंगे। इसके अलावा ४० शोध पत्रों और मामले की रिपोर्टों की प्रस्तुति भी होगी। AIASPGA आयुर्वेद के क्षेत्र में प्रसिद्ध हस्तियों को प्रतिष्ठित मार्तंड, विभूति और शोद्यार्थी पुरस्कारों से भी सम्मानित करेगा।
AIASPGA के उपाध्यक्ष वी.डी. अग्रवाल के अनुसार, “जीर्ण यकृत रोग को आयुर्वेद के माध्यम से बहुत प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है, जिसका अन्यथा यकृत प्रत्यारोपण के अलावा कोई समाधान नहीं है। यकृत प्रत्यारोपण एक अत्यधिक महंगी जटिल प्रक्रिया है, जो सभी के लिए सुलभ नहीं है, सभी मामलों में संभव नहीं है, और इसमें सफलता की संभावना कम है। दूसरी ओर आयुर्वेद प्रभावशाली तरीके से इस रोग का प्रबंधन कर सकती हैं, यहां तक कि प्रारंभिक अवस्था के मामलों में इस बीमारी को पूरी तरह ठीक भी कर सकती है “।
AIASPGA आयुर्वेद के प्रसार और उत्थान के लिए पिछले ४० सालों से काम कर रहा है। हर साल यह एसोसिएशन एक प्रासंगिक स्वास्थ्य विषय चुनता है और सम्मेलनों, विचार विनिमय मंचों आदि के माध्यम से इस पर काम करता है, जिसमें क्षेत्र के विशेषज्ञ योगदान करते हैं। इस एसोसिएशन के दिल्ली चैप्टर के अध्यक्ष डॉ. आर.के. यादव और महासचिव डॉ. धर्मवीर हैं।