‘बहुत मुश्क़िल है कोरोना वार्ड में काम करना’- जाने क्या है कोरोना योद्धाओं के अनुभव
कहा जाता है अगर संकल्प पक्का हो तो बड़ी से बड़ी मुसीबतों को हराया जा सकता है। इसी बात को सही साबित करने के लिए लखनऊ में एसजीपीजीआई की टीम मरीजों के इलाज में दिन रात लगी हुई है। जहां एक तरफ कुछ लोग बच्चों को अकेला छोड़ कर आये है तो दूसरी तरफ कुछ लोगों को अपने पूरे परिवार की चिंता है। ये सभी पारिवारिक परेशानियों के बावजूद पीजीआई के नर्सिंगकर्मी पूरी शिद्दत से अपनी जिम्मेदारी निभाने में लगे हुए हैं। ऐसे ही कुछ नर्सिंगकर्मियों ने बताए अपने अनुभव।
पूनम पीजीआई में नर्स है पूनम की शादी को कुछ दिन हुए थे और उनकी ड्यूटी कोविड वार्ड में लग गई। पूनम कहती हैं कि मुश्किल है पर कोई शिकायत नहीं है। मुझे गर्व है कि बुरे वक्त में मैं देश और समाज के लिए कुछ कर पा रही हूं। व्हाट्सएप के जरिए परिवार से वीडियो कॉल कर हालचाल लेती रहती हूँ। यहां ड्यूटी करके मेरी नर्सिंग की पढ़ाई सफल हो गई। साथ ही उन्होंने बताया कि हर एक दिन चुनौती भरा होता है, लेकिन वह चुनौती नहीं मेरी जिम्मेदारी है, जिसे मैं हर हाल में पूरा करती हूं।
ऐसे ही कोविड वार्ड में अपने काम में लगे पुरुष नर्स राजकुमार कहते है कि वार्ड में ड्यूटी के दौरान एक तरफ मरीजों कि चिंता तो दूसरी तरफ घर में मौजूद दो छोटे बच्चे की चिंता भी हमेशा बनी रहती है। ऐसे में नींद ही नहीं आती। सात दिन की ड्यूटी के बाद 14 दिन क्वारंटीन में रहना अपने आप में अलग अनुभव है।
वहीं एक और महिला नर्स सीमा बताती हैं कि उनकी तीन बेटियां हैं। दो अभी छोटी हैं, लेकिन काम तो करना है ताकि मरीजों को कुछ राहत मिले। जिस दिन यह प्रोफेशन चुना था, उसी दिन तमाम विकट परिस्थितियों के लिए खुद को तैयार कर लिया था। पति पूरा सहयोग कर घर पर बच्चों को देख रहे हैं। बड़ी बेटी भी मदद कर रही है। अब क्वारंटीन के बाद ही उनसे मुलाकात होगी।
पूरे दिन पीपीई किट पहनना कितना चुनौतीपूर्ण है ये हमे बता रहे है स्टाफ मेल नर्स वीरेंद्र। वीरेंद्र ने बताया कि जब शुरू में वार्ड में लगाया गया तो उनके लिए सबसे मुश्किल पीपीई किट पहनकर चलना था। क्योंकि वार्ड में भर्ती मरीज की तबीयत गंभीर हो जाती है तो दौड़कर मरीज के पास जाना होता है। मगर दो दिन बीतने के बाद वह पीपीई अब उनके आभूषण हो गए हैं। वह ज्यादातर समय पीपीई किट में रहते हैं। ड्यूटी के दौरान खाना भी नहीं खाते। घर वाले ही उनकी हिम्मत हैं।
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