चिदंबरम की अदालत में पेशी, ईडी की हिरासत में जाने को तैयार,CBIने की यह मांग
15 दिन की सीबीआई की हिरासत खत्म होने के बाद गुरुवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम को राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया।इस दौरान सीबीआई ने उन्हें जेल भेजने की मांग की।सरकारी वकील ने कहा कि वह जमानत पर रिहा होने के बाद गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।सीबीआई ने कहा कि चिदंबरम एक ताकतवर नेता हैं, उन्हें छोड़ा नहीं जाना चाहिए।चिदंबरम की ओर से मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायिक हिरासत का विरोध करते हुए कहा के जांच को प्रभावित करने या उसमें किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न करने का कोई आरोप नहीं है।चिदंबरम के वकील ने कहा कि वह आईएनएक्स मीडिया से संबंधित धन शोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में जाने के लिए तैयार है।
आज पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम को दिल्ली की विशेष अदालत से राहत मिली है।उन्हें एयरसेल-मैक्सिस मामले में अग्रिम जमानत मिल गई है।केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) इस मामले की जांच कर रहे हैं।हालांकि इस राहत से चिदंबरम को कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि वह पहले से ही आईएनएक्स मीडिया मामले में सीबीआई की हिरासत में हैं।वहीं उनके बेटे से कोई भी जांच एजेंसी इस समय पूछताछ नहीं कर रही है।इसलिए अग्रिम जमानत मिलना कार्ति के लिए राहत वाली बात है।
2006 में 3500 करोड़ रुपये की एफडीआई वाली एयरसेल-मैक्सिस डील को पी.चिदंबरम की मंजूरी मिल गई।बताया जाता है कि यह सूचना कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स, सेबी और डायरेक्टर ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस से होती हुई पीएमओ तक बात पहुंच गई थी।इनमें से किसी ने भी डील पर सवाल नहीं उठाया।इसके बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया।एक साल बाद 2007 में आईएनएक्स मीडिया को 305 करोड़ रुपए के विदेशी फंड लेने की एफआईपीबी मंजूरी देने में कथित रूप से अनियमित्ताएं सामने आ गई।
साल 2015 में जब सुब्रमण्यम स्वामी ने कार्ति चिदंबरम की विभिन्न कंपनियों के बीच हुए वित्तीय लेनदेन का खुलासा किया, तो इस मामले से भी पर्दा उठ गया। स्वामी ने सार्वजनिक तौर पर पी. चिदंबरम पर यह आरोप लगा दिया कि उन्होंने बतौर वित्तमंत्री रहते हुए अपने बेटे कार्ति चिदंबरम को एयरसेल-मैक्सिस डील के जरिए फायदा लेने में मदद की है। इसके लिए न केवल दस्तावेजों की प्रक्रिया रोकी गई, बल्कि कुछ समय के लिए अधिग्रहण प्रक्रिया को भी नियंत्रित कर दिया गया। यह सब इसलिए किया गया ताकि कार्ति चिदंबरम को अपनी कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने का वक्त मिल जाए।
जहां एयरसेल मैक्सिस मामले में चिदंबरम को राहत मिली है। वहीं गुरुवार को उच्चतम न्यायालय से उन्हें झटका मिला।शीर्ष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज आईएनएक्स मीडिया मनी लांड्रिंग मामले में अग्रिम जमानत नहीं देने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली चिदंबरम की याचिका खारिज कर दी।अदालत ने कहा, ‘प्रारंभिक चरण में अग्रिम जमानत देने से जांच पर विपरीत असर पड़ सकता है।यह अग्रिम जमानत देने के लिए सही केस नहीं है। आर्थिक अपराध अलग-अलग स्तर पर हैं और इसे अलग दृष्टिकोण के साथ निपटाना चाहिए।जांच एजेंसी को मामले की छानबीन करने के लिए पर्याप्त स्वतंत्रता दी जानी चाहिए।’
अदालत ने कहा कि चिदंबरम नियमित जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट के समक्ष नियमित जमानत याचिका दायर कर सकते हैं।सूत्रों के अनुसार जमानत याचिका खारिज होने से आज ईडी अदालत में आवेदन करके चिदंबरम की हिरासत मांग सकती है।जिसके बाद कांग्रेस नेता को जांच एजेंसी की हिरासत में भेजा जा सकता है।फिलहाल वह सीबीआई की हिरासत में है।जिसकी गुरुवार को अवधि खत्म हो रही है।याचिका ली वापसयाचिका खारिज होने के बाद चिदंबरम ने सीबीआई द्वारा दर्ज आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में निचली अदालत के गैर जमानती वारंट, हिरासत संबंधी आदेशों के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में दायर अपनी याचिका वापस ले ली है। उनके वकील एएम सिंघवी ने न्यायालय को बताया कि हमने बिना शर्त याचिका वापस लेने का निर्णय किया है।