रामजन्मभूमि विवाद: सुप्रीम कोर्ट के ऐसा करने पर भी फैसले में लग जाएगा इतने महीनों का वक्त !
धार्मिक मुद्दे से राजनीतिक मुद्दा बन चुके राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। शुक्रवार को अदालत के सामने दो अलग अलग मामले सुनवाई के लिए लगाए गए हैं। एक विवादित जमीन के मालिकाना हक को लेकर है और दूसरा एक जनहित याचिका है जिसमें इस मामले के जल्द सुनवाई करने की मांग की गई है।
जमीन के मालिकाना हक की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ करेगी। आपको बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2.67 अकड़ ज़मीन को तीन हिस्सों में बांट दिया था, एक हिस्से में राम लला, एक हिस्सा निर्मोही अखाड़ा को और एक हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया गया है। इसके बाद तीनों ही पक्षों ने इस पर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
दरअसल शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ये बताएगा की इस मामले की सुनवाई किस बेंच में और कब से होगी। आम तौर पर ऐसे मामले तीन जजों की पीठ में भेजे जाते हैं।
इस मुद्दे को जल्दी समाधान तक पहुँचाने के लिंए कुछ पक्षकार रोजाना सुनवाई कि मांग कर रहे हैं। वहीं इस पर फैसला चीफ जस्टिस या फिर उस बेंच पर निर्भर करता है जो इस मामले की सुनवाई करेगी।
अगर मान भी लें कि रोजाना सुनवाई होगी तो यह हफ्ते में सिर्फ मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को होगी, सुप्रीम कोर्ट के रोजाना सुनवाई के नियमों के अनुसार। फिर सवाल उठता है कि यह सुनवाई खत्म कब होगी।
अगर इलाहाबाद हाई कोर्ट में हुई सुनवाई पर ध्यान दें तो वहां 100 दिन सुनवाई हुई थी। अगर सुप्रीम कोर्ट में इसी रफ्तार से सुनवाई होती है तो कमसे कम 8 महीने सुनवाई चल सकती है। हालांकि जानकारों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट में इससे भी कहीं ज्यादा लंबी सुनवाई हो सकती है।
इस मामले में 533 एक्जीबिट, 87 गवाह जिन के बयान 14000 पन्नों में हैं और हजारों दस्तावेज हैं जो संस्कृत, उर्दू, अरबी, फारसी, हिंदी और अंग्रेज़ी में हैं, इन सब को पढ़ने में ही काफी समय लग सकता है।