जौनपुर: प्रमुख सचिव के आदेश का अधिकांश निजी चिकित्सक नहीं कर रहे अनुपालन
डॉक्टर साहब क्वॉरेंटाइन में चले गए हैं लॉकडाउन के बाद देखेंगे!
कोरोना संक्रमण के समय निजी चिकित्सालय बंद न करने का प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को दिया गया है आदेश ।
जौनपुर-उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव राजेंद्र तिवारी द्वारा प्रदेश के समस्त जिलाधिकारियों को 30 मार्च 2020 को आदेश दिया गया कि कोरोनावायरस के संक्रमण के समय कुछ निजी चिकित्सालयों द्वारा अपने चिकित्सालय या तो बंद कर दिए गए हैं या उनके द्वारा अधिकांश मरीजों को नहीं देखा जा रहा है इसलिए लॉकडाउन के दौरान निजी चिकित्सालयों को खोलने की व्यवस्था की जाए।सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए डॉक्टर मरीजों को देख सकते हैं।आईएमए से भी सहयोग लिया जाए।यह भी आदेश दिया गया कि चिकित्सालय वार्ता के बाद भी यदि निर्देशों का पालन नहीं करते तो समुचित प्रावधानों के अंतर्गत उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। प्राइवेट नर्सिंग होम के डॉक्टर आदेश का अनुपालन नहीं कर रहे हैं।बुधवार को ऐसा ही नजारा आशीर्वाद हॉस्पिटल के सामने देखने को मिला। बरसठी के सहरमा निवासी कुलदीप चार चक्का गाड़ी से आशीर्वाद हॉस्पिटल डॉ विनोद को दिखाने आया था उसके हाथ में फ्रैक्चर था। वह डॉक्टर के यहां पूर्व में प्लास्टर कराने के बाद दो बार दिखा चुका था।उसका ऑपरेशन करने को कहे थे लेकिन बुधवार को जब वह हॉस्पिटल में ऑपरेशन के लिए गया तो हॉस्पिटल के लोगों ने कहा कि डॉक्टर साहब क्वॉरेंटाइन पर चले गए हैं और लॉकडाउन के बाद ही देखेंगे आपके लिए बेहतर है कि आप या तो सदर हॉस्पिटल चले जाइए या बीएचयू यह सुनकर निराश हो गया और वापस चला गया उसका कहना था कि कोहनी में गंभीर रूप से फ्रैक्चर है जिसका तुरंत इलाज होना आवश्यक है।इतनी दूर से डॉक्टर साहब के यहां आने के बाद भी नहीं देखे।पहले से ही इलाज इनका चल रहा था इसलिए घर से राय कर कर दूसरी जगह दिखाऊंगा।
शहर में दर्जनों निजी चिकित्सालय है लेकिन कुछ ही हॉस्पिटल में एक-दो घंटे के लिए ओपीडी में डॉक्टर बैठते हैं कुछ डॉक्टर तो यह कहते हैं कि केवल इमरजेंसी केस ही देखेंगे जबकि स्थिति यह है कि अधिकांश हॉस्पिटल डेढ़ 2:00 बजे के बाद इमरजेंसी भी नहीं देख रहे हैं निजी चिकित्सालय के बहुत से चिकित्सक ओपीडी देख ही नहीं रहे हैं जबकि इस समय निजी चिकित्सालयों को 24 घंटे की सेवा देनी चाहिए क्योंकि यह महामारी व आपदा की स्थिति है।कई निजी चिकित्सालयों का निरीक्षण किया गया तो दो-चार को छोड़कर बाकी सभी डॉक्टर घर पर आराम फरमा रहे थे। लॉक डाउन के समय दूसरे जिले में भी लोग मरीज को लेकर नहीं जा सकते और निजी चिकित्सालय के चिकित्सक सेवा नहीं दे रहे है।आई एम ए का दावा है कि सभी डॉक्टर ओपीडी और इमरजेंसी देख रहे हैं जबकि हकीकत कुछ और ही है। 2 दिन हॉस्पिटलों का निरीक्षण करने के बाद यह लगा कि यदि कोई मरीज गंभीर हालत में लाया जाता है तो उसे जिला चिकित्सालय व दो चार निजी चिकित्सालयों को छोड़कर अन्य किसी चिकित्सालय में इलाज की सुविधा नहीं मिल पाएगी।सामान्य बीमारी वालों का तो इलाज ही संभव प्रतीत नहीं होता।सामान्य बीमारी भी इलाज के अभाव में गंभीर हो सकती है,लगता है इसकी निजी चिकित्सकों को परवाह नहीं है।सरकारी डॉक्टर कोरोना या आशंकित व्यक्ति की जांच वगैरह में लगे हुए हैं।मरीजों के दम पर बड़ी बड़ी बिल्डिंग खड़ी करने वाले निजी चिकित्सालय के चिकित्सक इस समय मरीजों से इतना ज्यादा सोशल डिस्टेंसिंग बना लिए हैं कि उन्हें देखना भी मुनासिब नहीं समझते।मरीजों से कोरोना संक्रमण के डर से वे घर में छुपे बैठे हैं।