सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों पर बरसाई गोलियां,जिसमें 31 खून से लतपत लोगों की हुई मौत
शुक्रवार को इराक में बेरोजगारी,भ्रष्टाचार के मसले पर पिछले एक हफ्ते से विरोध प्रदर्शन चल रहा है।इराक की राजधानी बगदाद में जब प्रदर्शनकारियों ने हिंसक मोड़ अपनाया तो इराकी सुरक्षा फोर्स ने उनपर फायरिंग कर दी।शुक्रवार तक हिंसक विरोध प्रदर्शन में मरने वालों की संख्या बढ़कर 31 हो गई है,जबकि 1,500 से अधिक घायल हुए हैं।
गुरुवार रात को’इराकी इंडिपेंडेंट हाई कमीशन फॉर ह्यूमन राइट्स'(IHCHR)के एक सदस्य अली अल-बयाती ने पत्रकारों को बताया कि बगदाद और कुछ प्रांतों में तीन दिनों के विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा में मरने वालों की संख्या दो सुरक्षाकर्मियों सहित बढ़कर 31 हो गई है,1,509 घायलों में 401 सुरक्षाकर्मी शामिल हैं।
मंगलवार और बुधवार को बेरोजगारी,सरकारी भ्रष्टाचार और बुनियादी सेवाओं की कमी को लेकर राजधानी बगदाद और इराक के कई प्रांतों में प्रदर्शन हुए,बगदाद में प्रदर्शन हिंसक हो गए क्योंकि प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए।विरोध प्रदर्शन अन्य इराकी प्रांतों में भी फैल गया जब सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने कई प्रांतीय सरकारी भवनों और प्रमुख राजनीतिक दलों के कार्यालयों पर हमला किया और आग के हवाले कर दिया।गुरुवार को बगदाद में सुबह 5 बजे से कर्फ्यू लगाए जाने के बावजूद छिटपुट विरोध प्रदर्शन जारी रहा।
एक बयान में रक्षा मंत्री नजह अल-शम्मारी ने बुधवार को कहा कि उन्होंने राज्य की संप्रभुता को बनाए रखने और इराक में सक्रिय सभी विदेशी दूतावासों और राजनयिक मिशनों की रक्षा के लिए इराकी सशस्त्र बलों के लिए’अलर्ट’की स्थिति बढ़ाने का फैसला किया है।
जुमे की नमाज़ से पहले राजधानी में कुछ हद तक शांति रही।लेकिन माहौल पूरी तरह से तनावपूर्ण था।इराकी प्रधानमंत्री आदिल अब्दुल मेहदी ने कहा है कि सरकार की ओर से प्रदर्शनकारियों पर सख्त कदम उछाए जा रहे हैं,कई इलाकों में इंटरनेट की सुविधा भी काट दी गई है।
इराक की अर्थव्यवस्था इस साल की शुरुआत से ही गड़बड़ाई हुई है,यही कारण है कि विरोधी पार्टियां,कई संगठन और आम लोग सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है।इराक में चौथा सबसे बड़ा देश है जिसके पास तेल का बड़ा रिजर्व है।फिर भी इस देश की 40 मिलियन आबादी गरीबी रेखा से नीचे है,जिसकी वजह से रोजगारी का संकट बढ़ता जा रहा है।