ट्रकों में छिपकर जान बचा रहे हैं 32 आतंकी, सुरक्षाबल पहुंच चुके हैं इनके बेहद करीब

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अब जम्मू-कश्मीर के लोगों को आतंकवादियो से घबराने की जरूरत नहीं है।जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों को एक बड़ी कामयाबी मिलने वाली है।हो सकता है कि इसी माह घाटी में छिपे बैठे 32 पाकिस्तानी आतंकियों में से कुछ के एनकाउंटर की खबर आ जाए।सुरक्षाबलों ने कुछ आतंकियों के ठिकाने का पता लगा लिया है।ये सभी आतंकी कश्मीर के किसी इलाके में नहीं, बल्कि ट्रकों में छिपे बैठे हैं।इंटेलीजेंस एजेंसियों ने यह जानकारी सेना,अर्धसैनिक बलों और जम्मू कश्मीर पुलिस को दे दी है।सुरक्षाबलों द्वारा हर दस-पंद्रह किलोमीटर पर सैंपलिंग के आधार पर ट्रकों को रुकवा कर उनकी गहन चेकिंग की जा रही है।अनंतनाग, पुलवामा, किश्तवाड़, बनिहाल, शोपियां, बड़गांव, बांदीपोरा और गांदरबल में ट्रक एसोसिएशन के प्रतिनिधियों से ड्राइवरों और क्लीनरों का रिकॉर्ड ले लिया गया है।सूत्रों का कहना है कि सुरक्षा बल इन आतंकियों के करीब पहुंच चुके हैं।

कश्मीर पुलिस के एक आईपीएस जो कि लंबे समय से आतंकी ऑपरेशनों में जुटे हैं और उन्हें डीजीपी दिलबाग सिंह का बेहद करीब माना जाता है,उन्होंने यह खुलासा किया है। उनका साफ कहना है कि पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठन बौखला गए हैं।यह बात सार्वजनिक हो चुकी है कि दो सौ से ज्यादा आतंकी पाकिस्तान के ट्रेनिंग कैंपों में हैं।वे सीमा पार करने का मौका तलाश रहे हैं।जब से कश्मीर में इंटरनेट और मोबाइल सेवाओं पर सर्विलांस लगा है,आतंकियों की घुसपैठ बहुत कम हो गई है।

आतंकियों के पाकिस्तानी हैंडलर न तो नए आतंकी भारतीय सीमा में धकेल पा रहे हैं और न ही कश्मीर में मौजूद आतंकियों को कोई दिशा निर्देश जारी कर पा रहे हैं।चूंकि बहुत से स्लीपर सेल और दूसरे संगठन,जिनसे आतंकियों को धन एवं अन्य तरह की मदद मिलती थी,अब वे भी जेल में हैं। इसे यूं भी कह सकते हैं कि आतंकियों की सप्लाई चेन ही बाधित हो गई है।इंटेलीजेंस एजेंसियों से अभी जो इनपुट मिला है कि वह गंभीर है।अच्छी बात यह है कि इस बार आतंकियों के छिपने का ठिकाना मालूम हो गया है।अभी तक कश्मीर घाटी के गांवों या शहरी इलाकों में आतंकी छिपते रहे हैं।उन्हें स्थानीय स्लीपर सेल से हर तरह की मदद मिलती थी।पिछले डेढ़ माह से सुरक्षा बलों ने जिस तरह से घाटी के चप्पे चप्पे पर सर्च ऑपरेशन शुरु किया है,उससे भागकर आतंकियों ने अब ट्रकों में शरण ली है।


इनका मकसद है कि किसी को इन पर शक न हो,इसलिए ये ट्रकों के धंधे में शामिल हो गए हैं।कोई आतंकी ट्रकों पर क्लीनर का काम कर रहे हैं तो कोई सामान उतारने चढ़ाने के काम में लग गया है।खुफिया एजेंसी की मदद से कई आतंकी सुरक्षाबलों के रडार पर आ चुके हैं।दूसरों की तलाश बाकी है।ट्रक एसोसिएशन सुरक्षा बलों का सहयोग कर उन्हें ड्राइवरों और क्लीनरों की जानकारी मुहैया करा रही है।यह भी पता चला है कि कई आतंकी एसोसिएशन के कार्यालय में नहीं आते।उन्होंने ड्राइवरों के साथ सेटिंग कर रखी है।वे शहर के किसी दूसरे हिस्से में उतर जाते हैं।जब वही ट्रक सामान भर कर निकलता है तो रास्ते वे आतंकी भी उसमें चढ़ जाते हैं।

कुछ दिन पहले लश्कर-ए-तैयबा के दो पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद खलील और मोहम्मद नजीम,जिन्हें गुलमर्ग सेक्टर में गिरफ्तार किया गया था,उनसे पूछताछ में बहुत कुछ पता लगा है।ये दोनों आतंकी रावलपिंडी के रहने वाले थे।अब अधिकांश आतंकियों के ठिकाने का पता लग रहा है।हो सकता है कि छोटे छोटे कई एनकाउंटर देखने को मिलें।अधिकारी का कहना है कि सर्दियों से पहले इन 32 आतंकियों को इनके अंजाम तक पहुँचा दिया जाएगा।

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