कागज की कश्ती से पार जाने की न सोच , लॉक डाउन तोड़ बाहर जाने की न सोच

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कुछ महीने पहले से पूरी दुनिया में कोरोना वायरस ने महामारी का रूप ले लिया भारत में भी फरवरी महीने से धीरे – धीरे इस महामारी ने पैर पसारना शुरू कर दिया था इस महामारी को रोकने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे अहम कदम उठाया और देश में लॉकडाउन की घोषणा कर दी पहले ये लॉक डाउन 21 दिन का था लेकिन कोरोना के संक्रमित की संख्या देख इसको आगे बढ़ा दिया गया अब इस लॉक डाउन को एक महीना पूरा हो गया इस एक महीने में बहुत कुछ बदल गया लोगों का खान,पान, जीवन शैली, यात्राएं,यूनाइटेड फैमिली आदि बहुत कुछ इस एक महीने में देखने को मिला जहा एक महीने पहले पेट्रोल पंपों, सड़कों से लेकर स्टेशन व मेट्रो तक लोगों की भीड़ खचाखच रहती थी वहीं इस एक महीने में बहुत कुछ बदल गया। सड़कें सूनी हो गयीं, पेट्रोल पम्पों पर लोगों की कतार अब नहीं दिखती और ना ही स्टेशनों पर लोगों की वह भीड़ ये तस्वीरें लॉकडाउन में पूरी तरह बदल गयी हैं लेकिन इस में कुछ अलग भी हुआ जैसे की लॉकडाउन के दौरान लोगों ने अपनी प्रतिभाएं भी काफी दिखाई किसी ने पेंटिंग बनायी तो किसी ने गाने गाये। कोई अपने घरों में खाना बनाना सीख रहा है तो कोई कविताएं भी लिख रहा है। लॉकडाउन का लाभ हमारे सेलेब्स ने भी उठाया और अपनी-अपनी छुपी प्रतिभाओं में नये रंग बिखेरे
अब कुछ पंक्ति 
आ ही गए हो तो नज़रे भी चुरा नहीं सकते,
हाथ जोड़कर करते हैं स्वागत,
हाथ हम मिला नहीं सकते,
परम्परा है अतिथियों का सत्कार करने की,
इसलिए नज़रे तुमसे चुरा भी नहीं सकते,
हाथ जोड़कर करते हैं स्वागत,
हाथ हम मिला नहीं सकते,

जहा पहले हफ्ते में 2-3 दिन रेस्टोरेंट का खाना खाते थे इसके अलावा ऑफिस से आते जाते रोल, पुचका, पिज्जा, बर्गर ये सब खाने की आदत थी अब ये सभी आदते ख़त्म हो गई अब लोग घरों में ही पकाया खाना खाने लगे हैं। कोरोना के डर ने ऑनलाइन भोजन पर भी लगभग ब्रेक लगा दिया पुचका वालों समेत स्ट्रीट फूड वालों पर तो सामत ही आ गई इनकी बिक्री लगभग 70 फीसदी तक घट गयी है लॉकडाउन ने जीवन जीने के तरीके को काफी बदल दिया जहा पहले लोग देर रात तक जागते थे वहीं अब लोग जल्दी सोने और सुबह जल्दी जागने लगे  कारण है कि रामायण और महाभारत जैसी सीरियलों ने टीआरपी के सभी रिकॉर्ड ब्रेक कर दिये घराें में बंद बच्चों ने भी बहुत कुछ सीखा ऑनलाइन पढ़ाई हो या फिर घरों में पेंटिंग व ड्राइंग बनाकर अपने टैलेंट को निखारना हो, यह सब चीजें बच्चों ने सीखी यहां तक कि अध्यात्मिक चीजों में बच्चों की भी दिलचस्पी बढ़ी और बड़ों के साथ बैठकर उन्होंने भी रामायण और महाभारत देखा इस एक महीने में पर्यावरण के लिए भी कई सकारात्मक चीजें हुईं जी हां जो काम करोड़ों रुपये खर्च कर नहीं हो पाया, वह काम लॉकडाउन ने कर दिखाया। गंगा निर्मल गंगा हो गयी,गंगा का पानी काफी हद तक स्वच्छ हो गया। इसी तरह सड़कों पर गाड़ियां नहीं चलने के कारण प्रदूषण स्तर पिछले 20 साल के रिकॉर्ड में सबसे कम हो गया। नीला व साफ आसमान जो अब तक प्रदूषण के कारण ठीक से दिखता नहीं था, अब वह भी साफ़ दिखने लगा सबसे अहम् बात जो लॉकडाउन ने सिखाई वो है लोगों को सबकी मदद करना चाहे गरीबों हो या जरूरतमंदों हो उनको भोजन बांटना हो या फिर आवारा जानवरों को खाना खिलाना हो। कोरोना वायरस के संक्रमण ने लोगों को एक दूसरे की मदद करना सिखा ही दिया आज हम डरे हुए है जीवित है पर मरे हुए है। ….

मेरे को इस लॉकडाउन ने बहुत कुछ सीखा दिया जैसे की –

1-अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर मुल्क नहीं है
2-यूरोप कंट्री वाले उतने पढ़े लिखे  नहीं है, जितना वो दिखते है
3-गरीब आदमी  जितना बीमारी से लड़ सकता है, उठना अमीर नहीं
4-दुनिया का सबसे बड़ा वायरस इंसान खुद ही है
5-अब हम महसूस कर सकते है की परींदे और जानवर पिंजड़े और चिड़ियाघर में कैसा महसूस करते होंगे
6-घरों में रहकर भी बिज़नेस किया जा सकता है
7-हम फ़ास्ट फ़ूड पिज़्ज़ा बर्गर के बगैर भी ज़िंदा रह सकते है
8-हम   गाड़ियो के बगैर भी चल सकते है
9-हमारे पास वक्त बहुत है अगर हम सही इस्तेमाल करे
10-दुनिया कितनी भी तरक्की कर ले लेकिन कुदरत का मुकाबला नहीं कर सकती

गो कोरोना नहीं ,,अब कहो नो कोरोना


बाहर मत जाओना , हाथ धोओ ना , मास्क पहनो ना ,हेअल्थी फ़ूड खाओना , अफवाओ से दूर रहोना, स्वस्थ सुरक्षित रहोना ,घर पर ही रहोना , घर से काम करोना , घर के काम करोना,  सोशल डिस्टेंस करोना, बुक्स पढ़ोना, फॅमिली के साथ टाइम स्पेंट करोना , दोस्तों के साथ वीडियो कॉल करोना , ऑनलाइन स्टडी करोना , मेडिकेशन करोना , करियर पर ध्यान करोना , एन्जॉय करोना , ये सब कुछ करोना क्यों की डरना नहीं रुकना नहीं गो कोरोना नहीं ,,कहो नो कोरोना। …

– आंचल त्यागी

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